जब जब बेटी के ससुराल से फोन
आता तो भार्गव जी अन्दर तक
काँप उठते. दरअसल शादी के
एकदम बाद दामाद ने नई कार देने
की मांग रख दी थी. उसी वजह से
कई बार बिटिया मायके आ भी चुकी थी।
मामूली सी पेंशन पाने वाले
भार्गव जी हर बार
बिटिया को समझा बुझा कर
वापिस भेज देते.
लेकिन इस बार ससुराल का इतना दबाव
था कि बिटिया समझाने पर
भी नहीं मान रही थी और ज़िद
पकड़ कर बैठ गई थी। भार्गव
जी को समझ नहीं आ
रहा था कि वे करें तो क्या करें । आखिर एक दिन अचानक दामाद
के लिए नई कार आ ही गई, और
बेटी अगले रोज़ अपने पति के
साथ नई गाड़ी में
ख़ुशी ख़ुशी विदा हो गई।
भार्गव जी के मन से एक भारी बोझ उतरा, लेकिन
उनकी पत्नी ऐसी अनुचित मांग
को पूरा करने पर बेहद नाराज़
थी ।
"आज तो आपने इनकी मांग
पूरी कर दी लेकिन कल इन्होने कोई और महंगी चीज़ मांग
ली तब आप क्या करोगे ?"
"चिंता काहे करती हो,
अभी तो एक और
किडनी मौजूद है मेरे शरीर में ।"
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