Tuesday, April 16, 2013

Jindagi Ka Kek "जिंदगी का केक"

एक लड़की अपनी माँ के पास अपनी परेशानियों का बखान कर रही थी l
वो परीक्षl में फेल हो गई थी l
सहेली से झगड़ा हो गया l
मनपसंद ड्रेस प्रैस कर रही थी वो जल गई l
रोते हुए बोली, मम्मी ,देखो ना ,

मेरी जिन्दगी के साथ सब कुछ उलटा - पुल्टा हो रहा है l
माँ ने मुस्कराते हुए कहा,
यह उदासी और रोना छोड़ो, चलो मेरे साथ रसोई में ,
"तुम्हारा मनपसंद केक बनाकर खिलाती हूँ" l

लड़की का रोना बंद हो गया और हंसते हुये बोली,
"केक तो मेरी मनपसंद मिठाई है" l

कितनी देर में बनेगा, कन्या ने चहकते हुए पूछा l
माँ ने सबसे पहले मैदे का डिब्बा उठाया
और प्यार से कहा, ले पहले मैदा खा ले l
लड़की मुंह बनाते हुए बोली, इसे कोई खाता है भला l
माँ ने फिर मुस्कराते हुये कहा, "तो ले सौ ग्राम चीनी ही खा ले" l
एसेंस और मिल्कमेड का डिब्बा दिखाया और कहा
लो इसका भी स्वाद चख लो

"माँ" आज तुम्हें क्या हो गया है?
जो मुझे इस तरह की चीजें खाने को दे रही हो ?

माँ ने बड़े प्यार और शांति से जवाब दिया, "बेटा"
केक इन सभी बेस्वादी चीजों से ही बनता है और ये सभी
मिलकर ही तो केक को स्वादिष्ट बनाती हैं .

मैं तुम्हें सिखाना चाह रही थी कि

"जिंदगी का केक"
भी इसी प्रकार की बेस्वाद घटनाओं को मिलाकर बनाया जाता है l
फेल हो गई हो तो इसे चुनौती समझो
मेहनत करके पास हो जाओ l
सहेली से झगड़ा हो गया है तो अपना व्यवहार इतना मीठा बनाओ कि
फिर कभी किसी से झगड़ा न हो l
यदि मानसिक तनाव के कारण "ड्रेस" जल गई
तो आगे से सदा ध्यान रखो कि
मन की स्थिति हर
परिस्थिति में
अच्छी हो l
बिगड़े मन से काम भी तो बिगड़ेंगे l
कार्यों को कुशलता से करने के लिए मन के चिंतन को कुशल बनाना अनिवार्य है l

जब जब बेटी के ससुराल से फोन आता I am not Agree with this Position However As Per Love to Owned Parent Its Highest Scarify


जब जब बेटी के ससुराल से फोन
आता तो भार्गव जी अन्दर तक
काँप उठते. दरअसल शादी के
एकदम बाद दामाद ने नई कार देने
की मांग रख दी थी. उसी वजह से
कई बार बिटिया मायके आ भी चुकी थी।
मामूली सी पेंशन पाने वाले
भार्गव जी हर बार
बिटिया को समझा बुझा कर
वापिस भेज देते.
लेकिन इस बार ससुराल का इतना दबाव
था कि बिटिया समझाने पर
भी नहीं मान रही थी और ज़िद
पकड़ कर बैठ गई थी। भार्गव
जी को समझ नहीं आ
रहा था कि वे करें तो क्या करें । आखिर एक दिन अचानक दामाद
के लिए नई कार आ ही गई, और
बेटी अगले रोज़ अपने पति के
साथ नई गाड़ी में
ख़ुशी ख़ुशी विदा हो गई।
भार्गव जी के मन से एक भारी बोझ उतरा, लेकिन
उनकी पत्नी ऐसी अनुचित मांग
को पूरा करने पर बेहद नाराज़
थी ।
"आज तो आपने इनकी मांग
पूरी कर दी लेकिन कल इन्होने कोई और महंगी चीज़ मांग
ली तब आप क्या करोगे ?"
"चिंता काहे करती हो,

अभी तो एक और
किडनी मौजूद है मेरे शरीर में ।"